DOHA 22

प्रेम पियाला जो पिए, सिस दक्षिणा देय।

लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय।

MEANING

जिसको ईश्वर प्रेम और भक्ति का प्रेम पाना है उसे अपना शीशकाम, क्रोध, भय, इच्छा को त्यागना होगा। लालची इंसान अपना शीशकाम, क्रोध, भय, इच्छा तो त्याग नहीं सकता लेकिन प्रेम पाने की उम्मीद रखता है।