DOHA 21

नहाये धोये क्या हुआ, जो मन मैल न जाए।

मीन सदा जल में रहे, धोये बास न जाए।

MEANING

कबीर दास जी कहते हैं कि आप कितना भी नहा धो लीजिए, लेकिन अगर मन साफ़ नहीं हुआ तो उसे नहाने का क्या फायदा, जैसे मछली हमेशा पानी में रहती है लेकिन फिर भी वो साफ़ नहीं होती, मछली में तेज बदबू आती है।