DOHA 23

कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर।

जो पर पीर न जानही, सो का पीर में पीर।

MEANING

कबीर दास जी कहते हैं कि जो इंसान दूसरे की पीड़ा और दुःख को समझता है वही सज्जन पुरुष है और जो दूसरे की पीड़ा ही ना समझ सके ऐसे इंसान होने से क्या फायदा।