DOHA 194

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय

जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय।

MEANING

कबीर कहते कि सुख में भगवान को कोई याद नहीं करता लेकिन दुःख में सभी भगवान से प्रार्थना करते है। अगर सुख में भगवान को याद किया जाये तो दुःख क्यों होगा।