DOHA 195

मन हीं मनोरथ छांड़ी दे, तेरा किया न होई।

पानी में घिव निकसे, तो रूखा खाए न कोई।

MEANING

मनुष्य मात्र को समझाते हुए कबीर कहते हैं कि मन की इच्छाएं छोड़ दो, उन्हें तुम अपने बूते पर पूर्ण नहीं कर सकते। यदि पानी से घी निकल आए, तो रूखी रोटी कोई न खाएगा।