DOHA 167

जीवत कोय समुझै नहीं, मुवा न कह संदेश।

तन - मन से परिचय नहीं, ताको क्या उपदेश।

MEANING

शरीर रहते हुए तो कोई यथार्थ ज्ञान की बात समझता नहीं, और मार जाने पर इन्हे कौन उपदेश करने जायगा। जिसे अपने तन मन की की ही सुधि - बूधी नहीं हैं, उसको क्या उपदेश किया?