DOHA 141
मन के हारे हार है मन के जीते जीत।
कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत।
MEANING
जीवन में जय पराजय केवल मन की भावनाएं हैं।यदि मनुष्य मन में हार गया - निराश हो गया तो पराजय है और यदि उसने मन को जीत लिया तो वह विजेता है। ईश्वर को भी मन के विश्वास से ही पा सकते हैं - यदि प्राप्ति का भरोसा ही नहीं तो कैसे पाएंगे?