DOHA 142

जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं।

प्रेम गली अति सांकरी जामें दो न समाहीं।

MEANING

जब तक मन में अहंकार था तब तक ईश्वर का साक्षात्कार न हुआ। जब अहम समाप्त हुआ तभी प्रभु मिले। जब ईश्वर का साक्षात्कार हुआ - तब अहम स्वत: नष्ट हो गया। ईश्वर की सत्ता का बोध तभी हुआ जब अहंकार गया। प्रेम में द्वैत भाव नहीं हो सकता - प्रेम की संकरी - पतली गली में एक ही समा सकता है - अहम् या परम! परम की प्राप्ति के लिए अहम् का विसर्जन आवश्यक है।