DOHA 122

हिरदा भीतर आरसी मुख देखा नहीं जाई।

मुख तो तौ परि देखिए जे मन की दुविधा जाई।

MEANING

ह्रदय के अंदर ही दर्पण है परन्तु - वासनाओं की मलिनता के कारण - मुख का स्वरूप दिखाई ही नहीं देता मुख या अपना चेहरा या वास्तविक स्वरूप तो तभी दिखाई पड सकता जब मन का संशय मिट जाए!