DOHA 121

मन जाणे सब बात जांणत ही औगुन करै।

काहे की कुसलात कर दीपक कूंवै पड़े।

MEANING

मन सब बातों को जानता है जानता हुआ भी अवगुणों में फंस जाता है जो दीपक हाथ में पकडे हुए भी कुंए में गिर पड़े उसकी कुशल कैसी?