DOHA 120

कबीर नाव जर्जरी कूड़े खेवनहार।

हलके हलके तिरि गए बूड़े तिनि सर भार!।

MEANING

कबीर कहते हैं कि जीवन की नौका टूटी फूटी है जर्जर है उसे खेने वाले मूर्ख हैं जिनके सर पर विषय वासनाओं का बोझ है वे तो संसार सागर में डूब जाते हैं - संसारी हो कर रह जाते हैं दुनिया के धंधों से उबर नहीं पाते - उसी में उलझ कर रह जाते हैं पर जो इनसे मुक्त हैं - हलके हैं वे तर जाते हैं पार लग जाते हैं भव सागर में डूबने से बच जाते हैं।