कबीर थोड़ा जीवना, मांड़े बहुत मंड़ाण।
बादल पत्थर के ऊपर झिरमिर करके बरसने लगे। इससे मिट्टी तो भीग कर सजल हो गई किन्तु पत्थर वैसा का वैसा बना रहा। मेरा भारत महान पर निबंध यहाँ पढ़ें!