DOHA 94

कहत सुनत सब दिन गए, उरझी न सुरझ्या मन।

कहि कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन।

MEANING

कहते सुनते सब दिन बीत गए, पर यह मन उलझ कर न सुलझ पाया! कबीर कहते हैं कि यह मन अभी भी होश में नहीं आता। आज भी इसकी अवस्था पहले दिन के ही समान है।