DOHA 52

कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन,

कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन

MEANING

केवल कहने और सुनने में ही सब दिन चले गये लेकिन यह मन उलझा ही है अब तक सुलझा नहीं है। कबीर दास जी कहते हैं कि यह मन आजतक चेता नहीं है यह आज भी पहले जैसा ही है।