DOHA 38

कागा का को धन हरे, कोयल का को देय।

मीठे वचन सुना के, जग अपना कर लेय।

MEANING

कबीर दास जी कहते हैं कि कौआ किसी का धन नहीं चुराता लेकिन फिर भी कौआ लोगों को पसंद नहीं होता। वहीँ कोयल किसी को धन नहीं देती लेकिन सबको अच्छी लगती है। ये फर्क है बोली का - कोयल मीठी बोली से सबके मन को हर लेती है।