DOHA 35

ऊँचे कुल का जनमिया, करनी ऊँची न होय।

सुवर्ण कलश सुरा भरा, साधू निंदा होय।

MEANING

कबीर दास जी कहते हैं कि ऊँचे कुल में जन्म तो ले लिया लेकिन अगर कर्म ऊँचे नहीं है तो ये तो वही बात हुई जैसे सोने के लोटे में जहर भरा हो, इसकी चारों ओर निंदा ही होती है।