DOHA 238
हाड जले लकड़ी जले जले जलावन हार।
कौतिकहारा भी जले कासों करूं पुकार।
MEANING
दाह क्रिया में हड्डियां जलती हैं उन्हें जलाने वाली लकड़ी जलती है उनमें आग लगाने वाला भी एक दिन जल जाता है। समय आने पर उस दृश्य को देखने वाला दर्शक भी जल जाता है। जब सब का अंत यही हो तो पनी पुकार किसको दू? किससे गुहार करूं - विनती या कोई आग्रह करूं? सभी तो एक नियति से बंधे हैं! सभी का अंत एक है!