DOHA 233

चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोये।

दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोए।

MEANING

चलती चक्की को देखकर कबीर दास जी के आँसू निकल आते हैं और वो कहते हैं कि चक्की के पाटों के बीच में कुछ साबुत नहीं बचता।