DOHA 197

साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं

धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं।

MEANING

कबीर दास जी कहते कि साधू हमेशा करुणा और प्रेम का भूखा होता और कभी भी धन का भूखा नहीं होता। और जो धन का भूखा होता है वह साधू नहीं हो सकता।