साधू ऐसा चाहिये, जैसा सूप सुभाय,
सार - सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।
जैसे अनाज साफ करने वाला सूप होता हैं वैसे इस दुनिया में सज्जनों की जरुरत हैं जो सार्थक चीजों को बचा ले और निरर्थक को चीजों को निकाल दे।