ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करै, आपौ शीतल होय।
मन के अहंकार को मिटाकर, ऐसे मीठे और नम्र वचन बोलो, जिससे दुसरे लोग सुखी हों और स्वयं भी सुखी हो।