DOHA 16

प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए।

राजा प्रजा जो ही रुचे, सिस दे ही ले जाए।

MEANING

कबीर दास जी कहते हैं कि प्रेम कहीं खेतों में नहीं उगता और नाही प्रेम कहीं बाजार में बिकता है। जिसको प्रेम चाहिए उसे अपना शीशक्रोध, काम, इच्छा, भय त्यागना होगा।