DOHA 138

काची काया मन अथिर थिर थिर काम करंत।

ज्यूं ज्यूं नर निधड़क फिरै त्यूं त्यूं काल हसन्त।

MEANING

शरीर कच्चा अर्थात नश्वर है मन चंचल है परन्तु तुम इन्हें स्थिर मान कर काम करते हो - इन्हें अनश्वर मानते हो मनुष्य जितना इस संसार में रमकर निडर घूमता है - मगन रहता है - उतना ही काल अर्थात मृत्यु उस पर हँसता है! मृत्यु पास है यह जानकर भी इंसान अनजान बना रहता है! कितनी दुखभरी बात है।