DOHA 135

जानि बूझि साँचहि तजै, करै झूठ सूं नेह।

ताकी संगति रामजी, सुपिनै ही जिनि देहु।

MEANING

जो जानबूझ कर सत्य का साथ छोड़ देते हैं झूठ से प्रेम करते हैं हे भगवान् ऐसे लोगों की संगति हमें स्वप्न में भी न देना।