DOHA 110

सातों सबद जू बाजते घरि घरि होते राग।

ते मंदिर खाली परे बैसन लागे काग।

MEANING

कबीर कहते हैं कि जिन घरों में सप्त स्वर गूंजते थे, पल पल उत्सव मनाए जाते थे, वे घर भी अब खाली पड़े हैं - उनपर कौए बैठने लगे हैं। हमेशा एक सा समय तो नहीं रहता! जहां खुशियाँ थी वहां गम छा जाता है जहां हर्ष था वहां विषाद डेरा डाल सकता है - यह इस संसार में होता है!।