DOHA 109

कबीर सीप समंद की, रटे पियास पियास।

समुदहि तिनका करि गिने, स्वाति बूँद की आस।

MEANING

कबीर कहते हैं कि समुद्र की सीपी प्यास प्यास रटती रहती है। स्वाति नक्षत्र की बूँद की आशा लिए हुए समुद्र की अपार जलराशि को तिनके के बराबर समझती है। हमारे मन में जो पाने की ललक है जिसे पाने की लगन है, उसके बिना सब निस्सार है।