DOHA 87
जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही।
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही।
MEANING
जब मैं अपने अहंकार में डूबा था, तब प्रभु को न देख पाता था।लेकिन जब गुरु ने ज्ञान का दीपक मेरे भीतर प्रकाशित किया तब अज्ञान का सब अन्धकार मिट गया - ज्ञान की ज्योति से अहंकार जाता रहा और ज्ञान के आलोक में प्रभु को पाया।