DOHA 72

कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन।

कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन।

MEANING

कहते सुनते सब दिन निकल गए, पर यह मन उलझ कर न सुलझ पाया। कबीर कहते हैं कि अब भी यह मन होश में नहीं आता। आज भी इसकी अवस्था पहले दिन के समान ही है।