DOHA 56

संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत।

चन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत।

MEANING

सज्जन पुरुष किसी भी परिस्थिति में अपनी सज्जनता नहीं छोड़ते चाहे कितने भी दुष्ट पुरुषों से क्यों ना घिरे हों। ठीक वैसे ही जैसे चन्दन के वृक्ष से हजारों सर्प लिपटे रहते हैं लेकिन वह कभी अपनी शीतलता नहीं छोड़ता।