DOHA 49

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त,

अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत

MEANING

इंसान की फितरत कुछ ऐसी है कि दूसरों के अंदर की बुराइयों को देखकर उनके दोषों पर हँसता है, व्यंग करता है लेकिन अपने दोषों पर कभी नजर नहीं जाती जिसका ना कोई आदि है न अंत।