DOHA 40

तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय।

कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय।

MEANING

कबीर दास जी कहते हैं कि तिनके को पाँव के नीचे देखकर उसकी निंदा मत करिये क्यूंकि अगर हवा से उड़के तिनका आँखों में चला गया तो बहुत दर्द करता है। वैसे ही किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए।