DOHA 243

हीरा परखै जौहरी शब्दहि परखै साध।

कबीर परखै साध को ताका मता अगाध।

MEANING

हीरे की परख जौहरी जानता है - शब्द के सार- असार को परखने वाला विवेकी साधु - सज्जन होता है। कबीर कहते हैं कि जो साधु-असाधु को परख लेता है उसका मत - अधिक गहन गंभीर है!