DOHA 230

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।

जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय।

MEANING

दुःख में हर इंसान ईश्वर को याद करता है लेकिन सुख में सब ईश्वर को भूल जाते हैं। अगर सुख में भी ईश्वर को याद करो तो दुःख कभी आएगा ही नहीं।