अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।
न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है। जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है।