जैसा भोजन खाइये , तैसा ही मन होय
जैसा पानी पीजिये, तैसी वाणी होय।
कबीर दास जी कहते है कि हम जैसा भोजन करते है वैसा ही हमारा मन हो जाता है और हम जैसा पानी पीते है वैसी ही हमारी वाणी हो जाती है।