पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का जो पढ़े सो पंडित होय।
मोटी-मोटी किताबें पढ़कर कभी कोई ज्ञानी नहीं बना। प्रेम शब्द का ढाई अक्षर जिसने पढ़ लिया, वही सच्चा विद्वान बना।