DOHA 13

ते दिन गए अकारथ ही, संगत भई न संग।

प्रेम बिना पशु जीवन, भक्ति बिना भगवंत।

MEANING

कबीर दास जी कहते हैं कि अब तक जो समय गुजारा है वो व्यर्थ गया, ना कभी सज्जनों की संगति की और ना ही कोई अच्छा काम किया। प्रेम और भक्ति के बिना इंसान पशु के समान है और भक्ति करने वाला इंसान के ह्रदय में भगवान का वास होता है।