DOHA 118
तेरा संगी कोई नहीं सब स्वारथ बंधी लोइ।
मन परतीति न उपजै, जीव बेसास न होइ।
MEANING
तेरा साथी कोई भी नहीं है। सब मनुष्य स्वार्थ में बंधे हुए हैं, जब तक इस बात की प्रतीति - भरोसा - मन में उत्पन्न नहीं होता तब तक आत्मा के प्रति विशवास जाग्रत नहीं होता। अर्थ सहित व्याख्याात वास्तविकता का ज्ञान न होने से मनुष्य संसार में रमा रहता है जब संसार के सच को जान लेता है - इस स्वार्थमय सृष्टि को समझ लेता है - तब ही अंतरात्मा की ओर उन्मुख होता है - भीतर झांकता है!