DOHA 107

नैना अंतर आव तू, ज्यूं हौं नैन झंपेउ।

ना हौं देखूं और को न तुझ देखन देऊँ।

MEANING

हे प्रिय! प्रभु तुम इन दो नेत्रों की राह से मेरे भीतर आ जाओ और फिर मैं अपने इन नेत्रों को बंद कर लूं! फिर न तो मैं किसी दूसरे को देखूं और न ही किसी और को तुम्हें देखने दूं!